हाथो में हाथ थाम कर जब भी मालती और दिलीप ने जिन्दगी बिताने की कसमे खाई होगी तो क्या कभी ये भी सोचा था की ये प्रेम उनके अपनों को इतना उद्वेलित कर देगा की इसकी कीमत मालती को अपनों जान देकर चुकानी होगी ! लोक लाज के नाम पर उसके अपने सगे बाबा ने उस लड़की को बेदर्दी से कुल्हाड़ी से काट डाला जिसको वो अपनी जान से ज्यादा प्यार करता था !
ये घटना है कानपुर से जुड़े बिल्हौर कस्बे की, जहाँ पर सरोजनी नायडू नगर में बाबूलाल कहार अपनी पत्नी तारावती और पोती मालती (१९ वर्ष) के साथ रह कर मजदूरी करके पेट पाल रहा था ! मालती की मुलाकात पड़ोस में रहने वाले दिलीप यादव से हुई , मुलाकात धीरे धीरे प्यार में बदली , दिलीप का आना जाना भी मालती के घर में शुरू हो गया ! परिवार में इनकी दोस्ती की जानकारी होने पर दिलीप के घर में आने पर रोक लगा दी गयी ! बातचीत में रुकावट आने पर दिलीप ने मालती को एक मोबाइल दे दिया जिससे की वह अब दिलीप से घंटो बात करती रहती थी ! उंच नीच के डर से बाबूलाल ने पोती मालती की शादी भी तय कर दी लेकिन मालती और दिलीप की दास्ताँ पूरे मोह्हले में आम हो चली थी ! मंगलवार को सुबह बाबूलाल आँगन में था तभी उसने अन्दर कमरे में मालती को किसी से बात करते सुना इस पर उसने अन्दर जाकर अन्दर से दरवाजा बंद कर लिया ! अपनी इज्ज़त का वास्ता देकर मालती को मना किया और वाद विवाद के बाद कमरे में रक्खी कुल्हाड़ी से मालती के टुकड़े कर दिए !वारदात को अंजाम देने के बाद बाबूलाल बाहर आया तो हाथ में खून से भारी कुल्हाड़ी देखकर तारावती का मन आशंका से भर गया पूछने पर बाबूलाल ने कहा की उसने परिवार की इज्ज़त बचा ली, तारावती ने अन्दर जाकर मालती की रक्तरंजित लाश देखी ! सुचना पाकर पहुची पुलिस ने बाबूलाल को गिरफ्तार कर लिया जहाँ बाबूलाल ने अपना जुर्म भी कबूल कर लिया और अपनी करनी पर कोई पछतावा ना होने की बात कही !इसके पहले भी अपने और परिवार की इज्ज़त का वास्ता देते हुए हत्या करने का एक और चर्चित मामला ८ फ़रवरी को फ़रुख्हाबाद में सामने आया था जहाँ संजय वर्मा नामके युवक ने अपनी बहन प्रिया और उसके प्रेमी नागीम उर्फ्फ़ गुड्डा को अपने साले और साथी के सहयोग से मार डाला था ऐसी ही घटना कौशाम्बी जिले में भी प्रकाश में आयी थी !
प्रेम की शाश्वत परिभाषा के बिलकुल विपरीत इज्ज़त बचाने के नाम पर हो रही इन हत्याओं को क्या इस सभ्य समाज में स्वीकार किया जा सकता है ?
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