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सरसैया घाट पर पहली बैठक |
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भाव विभोर हो भजन गाते ए.डी.एम्. आपूर्ति अखिलेश मिश्र साथ में प्रदीप श्रीवास्तव 'रौनक कानपुरी'
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(इंडिया एलाइव पत्रिका में जनवरी अंक में प्रकाशित मेरा लेख ) |
पवित्र उद्धेश्य और साफ़
नियत से कोई कार्य किया जाता है तो स्थितियां भी अनुकूल होती जाती है, देवता सहायक
होते है और कुछ ऐसा अनायास घटित होता है जिससे किया कार्य सार्थक हो जाता है! ऐसा
ही कुछ हुआ भी, १९ दिसंबर को जिस वक्त कार्यशाला में आंदोलन में जन सहभागिता पर
उद्दगार रखे जा रहे थे उसी वक्त देश की लोकसभा भी इसी चिंताओ को साझा कर रही थी !
नियम १९३ के तहत गंगा पर विस्तृत चर्चा हुयी ,जिसमे सभी सांसदों ने गंगा को एक नदी मात्र न मान संस्कृति का अभिन्न अंग बताया, माँ के रूप में माना, अब लग रहा है कि राज और
समाज के एक साथ होकर इस आंदोलन में साथ चलने का समय आ गया !
ma..ganga ko bachane ka prayas har star par sarahniya hai.. bina yeh soche ki ganga ko bachane ka uttardaitwa kiska hai, is disha me jo bhi ek kadam bhi chalta hai, wo mera sadhuwad swikar kare..
जवाब देंहटाएंaap bhi ssath aaye to aur bhi shakti badhegi..
हटाएंआपके यशस्वी प्रयास के लिए आपको बधाई, प्रवीण जी....
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