रविवार, 11 दिसंबर 2011

रिटर्न ऑफ अन्ना ..........



नई दिल्ली। सख्त लोकपाल के लिए अन्ना हजारे ने तीसरे चरण के आंदोलन का बिगुल बजा दिया है। जंतर-मंतर पर अन्ना के एक दिन के अनशन के बीच लोकपाल पर खुली बहस शुरू हो गई है। इसमें कांग्रेस और यूपीए की दूसरी घटक पार्टियों को छोड़कर सभी दल हिस्सा ले रहे हैं। बीजेपी से अरुण जेटली, अकाली दल से सुखदेव सिंह ढींढसा, सीपीआई से एबी वर्द्धन, सीपीएम की ओर से वृंदा करात, जेडी (यू) से शरद यादव, बीजेडी से पिनाकी मिश्रा और समाजवादी पार्टी से रामगोपाल यादव खुली बहस में हिस्सा ले रहे हैं। 
आइए जानते हैं बहस में किस पार्टी ने विभिन्न मुद्दों पर क्या कहा है.... 
बीजेपी 
-प्रधानमंत्री और संसद लोकपाल के दायरे में आएं। 
-लोकपाल की नियुक्ति के लिए सर्च कमिटी में सरकार के साथ-साथ विपक्ष, न्यायपालिका और सिविल सोसाइटी के प्रबुद्ध प्रतिनिधि शामिल किए जाएं। 
-सरकार से मुक्त करके सीबीआई को सशक्त और निष्पक्ष बनाया जाए। सीबीआई अधिकारियों की नियुक्ति निष्पक्ष संस्था के द्वारा हो। 
-न्यायपालिक का भ्रष्टाचार एक मुख्य विषय है। 
-लोकपाल पर बोझ का हवाला देकर ग्रुप सी के सरकारी कर्मचारी को लोकपाल से बाहर रखा गया है, लेकिन साढ़े चार लाख एनजीओ को इसके दायरे में करने का प्रस्ताव रखा गया है। इसे बीजेपी नहीं मंजूर करेगी। 
सीपीआई 
-प्रधानमंत्री को लोकपाल से बाहर रखने का कोई मतलब नहीं है। अगर मंत्री इसके दायरे में होंगे, तो पीएम और पीएमओ कैसे बाहर हो सकते हैं। पीएम के पास कई मंत्रालय होते हैं। 
-ग्रुप सी समेत सभी सरकारी कर्मचारी लोकपाल के दायरे में होने चाहिए, क्योंकि साधारण लोगों का निचले स्तर के सरकारी कर्मचारियों से ही पाला पड़ता है। 
-लोकपाल का पहला काम भ्रष्टाचार की जांच होनी चाहिए। देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे सशक्त ढांचा सीबीआई है लेकिन इसका दुरुपयोग जगजाहिर है। इसलिए सीबीआई की करप्शन से जुड़ी इकाई लोकपाल के दायरे में हो। 
-न्यायपालिका में भ्रष्टाचार काफी हद तक प्रवेश कर चुका है। लेकिन इसपर लोकपाल के बजाय नैशनल जुडिशल कमिशन और जुडिशल अकाउंटबिलिटी बिल के जरिए अंकुश लगाया जाना चाहिए। 
      इससे पहले रविवार 10 बजे भारत माता की जय के नारों के बीच अन्ना ने जंतर-मंतर पर अपना एक दिन का अनशन शुरू कर दिया है। अनशन शुरू करने से पहले समाज सेवक अन्ना हजारे राजघाट गए और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। अनशन शुरू करने से पहले अन्ना ने कहा कि वह कुछ नहीं बोलेंगे, लेकिन टीम अन्ना के सदस्यों ने यूपीए सरकार पर जमकर हल्ला बोला। 
अन्ना महाराष्ट्र सदन से सुबह करीब नौ बजे राजघाट पहुंचे और बापू की समाधि के पास बैठकर कुछ देर तक ध्यान किया। सफेद कुर्ता और गांधी टोपी पहने अन्ना के साथ उनके साथी मनीष सिसोदिया, अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी थे। 
टीम अन्ना की मेंबर किरण बेदी ने संसद से अनुरोध किया कि वह लोकपाल विधेयक पर स्टैंडिंग कमिटी की सिफारिशों को नामंजूर कर दे और जनता की आवाज सुने। उन्होंने कहा कि लोकपाल को सिर्फ जांच इकाई बना दिया गया है...इसे शक्तियां नहीं दी गई हैं। उन्होंने सीबीआई से जांच की जिम्मेदारी लेकर इसे कमजोर तथा लोकपाल को असफल इकाई बना दिया है। 
टीम अन्ना के अहम सदस्य अरविंद केजरीवाल ने जंतर-मंतर पर अपने भाषण में कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि स्टैंडिंग कमिटी ना तो प्रधानमंत्री की बात मान रही है और ना ही संसद की। स्टैंडिग कमिटी सिर्फ राहुल गांधी के इशारे पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि स्टैंडिंग कमिटी का लोकपाल बहुत कमजोर है। केजरीवाल ने कहा कि कांग्रेस सिर्फ राहुल गांधी के लिए काम कर रही है। उसका जनता के कुछ भी नहीं लेना है। यह सब देश के लोकतंत्र के लिए बहुत ही खतरनाक है। 
    केजरीवाल ने कहा कि केंद्र में जो भी सरकार आई उसने सीबीआई का दुरुपयोग किया। ऐसे में सीबीआई को सरकार के शिकंजे मुक्त कराने की जरूरत है। उन्होंने इसके पक्ष में सबूत भी पेश किए। साथ ही उन्होंने वहां मौजूद लोगों से आग्रह किया कि जब विभिन्न पार्टियों के लोग सार्वजनिक बहस के लिए आएं तो उनका अपमान नहीं किया जाए।

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