मंगलवार, 29 मार्च 2011

कानपुर की ऐतिहासिक होली




प्रवीण शुक्ल
                    कानपुर | कानपुर में होली कुछ और ही रंग में रंगी होती है | होली जलने वाले दिन के बाद जब अनुराधा नक्षत्र पड़ता है तब कानपुर में गंगा मेला के नाम से होली मनाई जाती है. बिलकुल होली की तरह से उस दिन यहाँ पर स्थानीय छुट्टी होती है. हर तरफ होली का नजारा दिखाई  देता है |
                     इस होली के विषय में सबको नहीं मालूम है लेकिन चूँकि यह कहानी देश के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी है तो सबके लिए रोचक हो सकती है. न हो तो कोई फर्क नहीं पड़ता है, यह तो इतिहास है - जरूरी नहीं कि हम इससे वाकिफ हों या फिर रूचि रखें ही|
                    यहाँ पर हटिया एक जगह है - जो उस समय आजादी के दीवानों का गढ़ हुआ करता था | उस समय हटिया में किरण, लोहा कपड़ा और गल्ले का व्यापार होता था | व्यापारियों के यहाँ आजादी के दीवाने व क्रांतिकारी डेरा जमाते और आन्दोलन कि रणनीति बनाते थे | हटिया में ही झंडा गीत ' झंडा ऊँचा रहे हमारा विजयी विश्व तिरंगा प्यारा' के रचयिता श्याम लाल गुप्ता 'पार्षद' ने जवाजीवन पुस्तकालय कि स्थापना कि थी. पुस्तकालय व हटिया पार्क क्रांतिकारियों के लिए अड्डा बना गया था |
                   स्वतंत्रता से पूर्व होली वाले दिन स्वतंत्रता के दीवानों ने हटिया पार्क में तिरंगा फहराकर देश कि आजादी कि घोषणा कर दी थी. अंग्रेजी शासन को एक चुनौती देने वाले इस कार्य ने प्रशासन को बौखला दिया. इस घटना के बाद घुड़सवार पुलिस ने हटिया को चारों तरफ से घेर लिया और काफी लोगों को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया जिनमे गुलाबचन्द्र सेठ, जागेश्वर त्रिवेदी, पं. मुंशीराम शर्मा सोम, रघुबर दयाल, बाल कृष्ण शर्मा नवीन, श्याम लाल गुप्त ‘पार्षद’, बुद्धूलाल मेहरोत्रा और हामिद खाँ आदि थे पुलिस ने इन आठों लोगों को हुकूमत के खिलाफ साजिश रचने के आरोप में गिरफतार करके सरसैया घाट स्थित जिला कारागार में बन्द कर दिया। इनकी गिरफ्तारी का कानपुर की जनता ने भरपूर विरोध किया। स्वतंत्रता के सेनानियों की गिरफ्तारी से शहर भड़क उठा | लोगों ने होली नहीं मनाई और एक आन्दोलन छेड़ दिया जिससे कि अंग्रेज अधिकारी घबरा गए. गिरफ्तार सेनानियों को छोड़ना पड़ा | यह रिहाई अनुराधा नक्षत्र के दिन हुई . होली के बाद अनुराधा नक्षत्र के दिन उनके लिए उत्सव का दिन हो गया और जेल के बाहर भरी संख्या में इकट्ठे लोगों ने ख़ुशी मनाई. ख़ुशी में हटिया से रंग भरा ठेला निकला गया और लोगों ने जमकर रंग खेला | 
                   शाम को गंगा किनारे सरसैया घाट पर मेला लगा. जिसमें सभी लोग इकट्ठे हुए और एक दूसरे को गुलाल लगते हुए गले मिले. तब से कानपुर शहर इस परंपरा का निर्वाह कर रहा है . हटिया बाजार आज भी होली वाले दिन से लेकर गंगा मेला तक बंद रहता है. आज भी सरसैया घाट पर पूर्ववत शाम को होली मिलन समारोह होता है |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें