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आई. आई. टी कानपुर के सिविल इंजीनियरिंग विभाग प्रमुख और गंगा रिवर बेसिन प्राधिकरण के सदस्य डा. विनोद तारे ने जोर देकर कहा कि भारत में संसाधनों और तकनीकी दक्षता की कमी नहीं है. जरुरत है व्यवस्था के पारदर्शी और जवाबदेह होने की. पिछली सरकारी कार्ययोजनाओं असफलता से में शहर के नागरिकों का विश्वास कम से कमतर हुआ है और जनजुडाव घटा है. जरुरत है ऐसे मंचों की जहाँ पर सरकार समाज और तकनीकी विशेषज्ञों के सार्थक पारदर्शी संवादों की निरंतरता बनायीं जा सके ! प्रो0 तारे ने कहा इसमे नागरिकों का दबाव और सरकार की दृढ़ इच्छा शक्ति महत्वपूर्ण है भ्रष्टाचार के भेंट गंगा न चढ़े इसके लिए नागरिको को पहल करनी होगी।
डॉ0 राकेश जायसवाल के यह पूछे जाने पर कि क्या मुरे डार्लिंग नदी घाटी योजना कि यहाँ पुनरावृत्ति सम्भव है डॉ0 ब्लैकमोर ने बताया कि वैज्ञानिक तथ्यों की पुनरावृत्ति संभव है लेकिन सामाजिक सरोकारो से जुड़े योजनाएं को यहाँ के समुदायों और नागरिक समाज को सुनिश्चित करना होगा।
राकेश मिश्र ने कहा कि भारत में नागरिक प्रबंधन जल प्रबंधन से जुड़े विभाग भ्रष्ट और असंवेदनशील है इसलिए गंगा जैसी राष्ट्रीय नदी जिससे इस देश की पहचान है वह अपना आस्तित्व खोती दिखती है। इसके लिए देश के संत समाज और नागरिक समाज को एक होना होगा। कैप० एस सी त्रिपाठी ने कहा कि प्रस्तावित आर्थिक माडल की असफलता की दशा में जिम्मेदार चाहे कोई भी हो लेकिन उसके दुष्परिणाम की भुक्तभोगी आम जनता ही होगी ,इसलिए विकल्पों का चुनाव बहुत सावधानी से करने की आवश्यकता है ! रिसर्च स्कालर रुबी शर्मा ने कहा कि हमारे देश के आई0 आई0टियंस को ध्यान देना होगा कि वह अपने शहर से जुड़ी प्रबन्धन और तकनीक की सेवाओं में खुल कर भागेदारी करें उनका योगदान न के बराबर होता है !
दिल्ली से आये अटल बिहारी शर्मा ने सवाल किया कि क्या बढ़े बाँधों के खड़े रहने से अविरल गंगा का बहना संभव है? उन्होने कहा कि हमें गंगा पर कोई भी योजना बनाते समय नागरिक समाज के सुझाव पर ध्यान एवं सर्तक रहने की जरुरत है कि गंगा स्वच्छता के नाम पर गंगा जल का व्यापारीकरण न हो जाय हमे गंगा की अविरलता-निर्मलता के लिए नदी, जल प्रबन्धन योजना की बारीकियों को नदी के किनारे बसे लोगों एवं छात्रों के बीच ले जाना होगए तभी गंगा को राष्ट्रीय मुद्दा बना सकते है।
संगोष्ठी में सईद नकवी (एडवोकेट), वीरेन लोगों, विजय चावला, रामकिशोर बाजपेयी, आरती दीक्षित, लक्ष्मी कनौजिया, रामजी भाई, विष्णु त्रिपाठी, नौशाद आलम आदि उपस्थित रहे।
अध्यक्षता पद्मश्री डॉ. गिरिराज किशोर, संचालन दीपक मालवीय एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रवीण शुक्ल ने किया !
सहमत हूँ ......संतोष हुआ की कानपुर में लोग जिन्दा हैं ....अन्हें सरोकार है अपनी नदियों से .....गंगा से ....नमन !
जवाब देंहटाएंयकीन रखे ,कानपुर क्रांति का अग्रदूत रहा है इस गौरव को जिन्दा रखने वाले कनपुरिया दोस्त अभी है !
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