शनिवार, 29 सितंबर 2012

गंगा बैराज पार सुलगती चिंगारी – २, सर पर कफ़न बाँध आर पार की तैयारी


सर पर कफ़न, हाथ में तिरंगा लेकर आर - पार की लड़ाई की तैयारी 

प्रवीण शुक्ल 

उन्नाव के शंकरपुर , मनभौना, कन्ह्वापुर गाँव की लगभग १२०० एकड़ जमीन का यू.पी. एस. आई. डी. सी. द्वारा किया अधिगृहण विवादों के घेरे में आता जा रहा है , विशेष आर्थिक परिक्षेत्र के नाम पर २००२ में शुरू गयी इस अधिगृहण की कार्यवाही को २०१२ आते – आते हाई-टेक सिटी में परिवर्तित हो जाने से और मुआवजे के नाम पर किसानो को बहला फुसला कर अंगूठा लगवा पुराने दरों से पैसा देने पर असंतोष की सुलगती चिंगारी व्यापक रूप लेती दिख रही है ! किसानो के हितों को ताक पर रख सरकार पर प्रौपर्टी डीलर की तरह बर्ताव करने के आरोप लग रहे है ! किसान नेताओ की माने तो सर पर कफ़न, हाथ में तिरंगा ले किसान आर पार की लड़ाई लड़ने को संगठित हो रहे है !
किसान हितों के लिए संघर्षरत अजय अनमोल, प्रो.वी.एन.पाल के अनुसार गंगा बैराज बनने के बाद आस पास की जमीनों के दाम बढ़ने की सम्भावना देख यू.पी.एस.आई.डी.सी. ने २००२ में एक फर्जी परियोजना विशेष आर्थिक परिक्षेत्र ‘सेज’  बनाकर किसानो की जमीन अधिगृहण करने की योजना बना ली और लोक प्रयोजन के लिए आपात स्थितियों में तुरंत अधिगृहण करने के लिए प्रयोग की जाने वाली धारा -१७ का उपयोग कर किसानो से बिना मुआवजा दिए , बिना आपत्तियों  का वास्तविक निस्तारण किये , जमीन ले ली और राजस्व अभिलेखों में अपने नाम दर्ज करा ली ! आज़ाद भारत में बिना मूल्य चुकाए जबरन सरकार द्वारा किसानो के साथ की गयी ये ना-इंसाफी बिना ज्यादा चर्चा में आये ही रह गयी ! आपात परिस्थितियों में तुरंत प्रारंभ होने वाली वो परियोजना कभी धरातल पर असली जामा ना पहन पायी इधर किसान के पास ना तो जमीन रही ,ना उसका मुआवजा ! जरुरत के वक्त जमीन को बैंक में बंधक रख कर्ज ले शादी ब्याह , दवा खुराकी करने वाला किसान अब राजस्व अभिलेख में नाम ना होने से उससे भी मारा गया ! मजबूर किसान को आखिरकार सरकारी चंगुल में फंसा, उनकी बेबसी का लाभ उठा उनसे करार पत्र में अंगूठा , दस्तखत कराये गए ! २००२ में सेज के नाम पर अधिगृहीत भूमि का मुआवजा २०११ में सिर्फ १८२ रूपए वर्ग गज के भाव से देने की शुरुवात हुयी ! मुआवजा पाने के लिए स्थानीय राजस्व कर्मचारियों, अधिकारियों की जेबे गरम करने के भी आरोप लगे ! किसान नेता सवाल उठाते है कि हाई-टेक सिटी के नाम पर जमीन को १००००/= रुपये गज बेचने की जुटी सरकार इन किसानो को सिर्फ १८२/= रूपए ,, वो भी अधिगृहण के इतने वर्षों के बाद ???? आखिर सरकार चाहती क्या है स्पष्ट करे !
किसान नेताओ के अनुसार फिलहाल छोटे – छोटे कार्यक्रम और बैठकों का दौर शुरू हो गया है , किसान गंगा जल हाथ में लेकर जमीन के दोषपूर्ण अधिगृहण के खिलाफ संघर्ष करने की शपथ ले चुके है ! जन जागरण के लिए ३० सितम्बर को पद यात्रा निकालने का कार्यक्रम है फिर गांधी शास्त्री जयंती २ अक्टूबर को किसान हाथ में तिरंगा लेकर और सर पर कफ़न बाँध अपनी जमीनों को वापस लेने का प्रण दोहराएंगे !


2 टिप्‍पणियां:

  1. 182/- per sqr Mtr. ?
    isase accha hota ki kisano jameen muft main le li jati yahi maan lete ki Angrejo ka shashan hai aur muwaje ke liye chakkar to nahi lagane padte .

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  2. भूमि अधिगृहण के अब तक के मामले देखे तो सरकारों और अधिकारीयों की मिलीभगत साफ़ दिखती है !

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