शुक्रवार, 18 मार्च 2011

यूपी में लाठीतंत्र बनाम लोकतंत्र की लड़ाई



यूपी में लाठीतंत्र बनाम लोकतंत्र की लड़ाई
  प्रवीण शुक्ल
  उत्तर प्रदेश.  उत्तर प्रदेश आखिरकार        उत्तर  प्रदेश सरकार  की  दमनकारी  नीति  कटघरे  में  आ  गयी  है, विरोधी  दलों  के  द्वारा  किये  जा  रहे  आंदोलनों  पर  बर्बरता  पूर्वक  किये  गए  लाठीचार्ज  और  सांसदों  के  विशेषाधिकार  हनन  का  मामला  तूल  पकड़ रहा है  ! ज्ञात  हो  की  पिछले  दिनों  सपा  के  "बसपा हटाओ - प्रदेश  बचाओ " आन्दोलन  के  दौरान  उत्तर  प्रदेश  विशेषकर  लखनऊ  पुलिस  ने  नादिरशाही  अंदाज  में  कार्यकर्ताओ  पर  लाठीचार्ज  किया  था, अपने  आला  अधिकारियो  की  अगुवाई  में  पुलिस  वालो  ने  जम  कर  लाठियां   चलायी  और  जो  भी  जहाँ  भी  मिला  उसको  दौड़ा-दौड़ा  कर  पीटा , यहाँ  तक  की  स्वयं  डी.आई.जी.  डी. के. ठाकुर  ने  लोहिया  वाहिनी  के  आनंद  सिंह   को  पैरो  से  गला  दबाकर  पीटा  था  जो  कि  राष्ट्रभूमि  के  पिछले  अंक  में  आपने  पढ़ा  भी  था !
                        अब  राष्ट्रीय  मानवाधिकार  आयोग  ने  इस  घटना  का  स्वतः  संज्ञान  लेते  हुए  उत्तर  प्रदेश  पुलिस  को  नोटिस   जारी  कर  दी  है  आयोग  ने  समाचार  पत्रों  में  प्रकाशित   इन्ही  खबरों  और  फोटो  को  आधार  मान  कर  प्रदेश  के  डी. जी.  करमवीर  सिंह  को  नोटिस   जारी  कर  चार  हफ्तों  में  जवाब  माँगा  है,  आयोग  ने  इस  घटना  को  मानवाधिकारो  का  घोर  उलंघन  बताते  हुए  कहा  है  कि  यह  राजनैतिक  कार्यकर्ताओ  के  मानवाधिकारों  का  हनन  है !  इस  के  अलावा  संसद  में  मुलायम  सिंह  यादव, अखिलेश  यादव  और  भाजपा  सांसद  लालजी  टंडन  ने  अपने  संसद  सदस्य  होने  के  विशेषाधिकार  के  प्रदेश  पुलिस  द्वारा  हनन  का  मामला  संसद  में  उठाते  हुए  लोकसभा  अध्यक्ष  से  कार्यवाही  की  मांग  कर  दी , यहाँ  बता  दे  कि  भाजपा  के  आन्दोलन  के  दौरान  पुलिस  ने  भाजपा  सांसद  लालजी  टंडन  के  घर  में  घुस  कर  तोड़ फोड़  की थी, जबकि  मुलायम सिंह  और  अखिलेश  को  पहले  तो  पुलिस  ने  नज़रबंद किया  बाद में  रिहा  किया  और  फिर  तीसरे दिन  के  आन्दोलन  के  नेतृत्व  के  लिए  जब  अखिलेश  दिल्ली  से  लखनऊ  आये  तो  उनको  अमौसी  एयरपोर्ट  पर  ही  गिरफ्तार  कर  लिया  गया !
                             लोकसभा  अध्यक्ष   मीरा  कुमार  ने  सदस्यों  को  आश्वस्त  किया  कि  सदन  उनके  हितो  का  पूरा  ख्याल  रखेगा  और  इस  मामले  पर  वो  गृह  मंत्रालय  से  रिपोर्ट  मांगेगी ! अब  यदि   इन  तथाकथित दोषी  प्रशासनिक  अधिकारियो  पर  कोई  कार्यवाही  होती  है  तो  ये  इन  घटनाओ  के  बाद  इनकी  पींठ  ठोकने  वाली  और  भरपूर  समर्थन  करने  वाली  माया  सरकार  को  भी  एक  सबक  होगा  जो  कि  लाठीतन्त्र  और  लोकतंत्र  का  अंतर  बताएगा ! उत्तर प्रदेश की जनता भी इन आंदोलनों पर और उनके बर्बरता पूर्वक दमन पर निगाह रखे हुए है ! वो भले ही अभी सरकारी दबाव में चुप्पी साधे हो लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव में अगर ये चुप्पी बसपा सरकार पर कहर बन टूटे तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए !

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